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Showing posts from February, 2016

गर्लफ्रेंड को जुकाम हो गया है

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गर्लफ्रेंड को जुकाम हो गया है। - आज मेरी गर्लफ्रेंड साउथ कैंपस से पटेल चौक आई है मुझसे मिलने। मैंने ही कहा था उससे मिलने आने के लिए। पर मुझे कहाँ मालूम था कि उसको जुकाम हो जाएगा। देखों बड़ी सी जैकेट में कंपकपाती कैसे चुसड़ चुसड़ चाय पी रही है। अच्छा खासा प्लान बना था मूवी देखने का वो भी कैंसिल हो गया। अरे ये सिनेमा वालों को क्या जरुरत है A.C लगाने की? बड़ा चले है मॉडर्न बनने। एक दिन के लिए तो आती है दो - तीन सप्ताह में। इस बार तो पुरे २४ दिनों में आई है। कहती है एग्जाम चल रहे है। अब तुम ही बताओं पिछले २४ दिनों से कुछ भी नहीं किया है और अब है कि यहाँ बैठे चाय पी रहे है। हरामी मनीष ने इन मौके पर ही धोखा देना था। सुबह सुबह बता रहा है कि भाई रूम नहीं मिल पाएगा कोई रिश्तेदार आ गया है। अरे ऐसी तैसी रिस्तेदार की। एक दिन पहले या बाद नहीं आ सकता था। सारा प्लान चौपट कर दिया। अगर एक दिन पहले बता देता तो मैं किसी और का रूम arrange कर लेता। उस साले मोटू अंकित ने भी मना कर दिया। भूल गया कि अपनी क्लास वाली दीप्ति से बात मैंने ही कराई थी तब तो भाई भाई करता घूमता था। आज साला गर्लफ्रेंड के प्यार

सड़े हुए केले और बाई

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सड़े हुए केले और बाई  एक रोज फल वाले भैया के पास खड़ा तरबूज खा रहा था कि वहां थोड़ी देर में एक महिला चमचमाती कार में आती है और भैया को कहती है - भैया चार सड़े हुए केले दे दो। मैंने तरबूज खाते - २ उसे घूरती हुई निगाहों से देखकर ignore मार दिया। भैया को शायद "सड़े हुए" शब्द सुनाई नहीं दिए और वो चार केले उठाकर देने लगे। काले चश्मों को आँखों से उतारकर सर पर लगते हुए उसने कहा अरे भैया सड़े हुए नहीं क्या ?... वो बाई को खिलने थे। भैया 'सड़े हुए' शब्द सुनकर चौंके। मैंने भी थोड़ी उत्सुक निगाहों से देखा और उसकी नौकरी का अंदाज़ा लगाने लगा। लेखक होगी। शायद एक किताब चल गयी होगी। दूसरी कभी छपी नहीं होगी। नहीं नहीं लेखक नहीं हो सकती। एक किताब से इतनी बड़ी गाडी नहीं खरीद पाती। जरूर एक्ट्रेस होगी। शायद किसी कपूर या खान के झांसे में आ गयी होगी। उसकी तरफ मेरी निगाह थोड़ी तिरछी हो गयी। फिर लगा BMC में अधिकारी होगी। शायद बिल्डर ने पेमेंट नहीं की होगी, इसीलिए सस्ते केले खरीद रही है। ये सब ख्याल दिमाग में कुलांचे मार रहे थे कि भैया ने बड़ी मशक्कत के साथ चार सड़े हुए केले निकालकर देत

अब इसको क्या नाम दूँ

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बॉलीवुड की फ़िल्में देखकर पला बढ़ा मैं सोचा करता था कि लड़कियां अंग्रेजी में प्रोपोज़ करने पर ही हाँ करती है। हालांकि चेतन  भगत आज भी यही सोचता है। मिथ के इसी अहसास में डूबकर दर्जनों लड़कियों को अंग्रेजी में प्रोपोज़ कर डाला। और लड़कियों ने "i don't know you' का थपेड़ा मुंह पर मारा। इन दर्जनों लड़कियों के प्यार में अभी इतना ही अँधा हुआ था कि आँखों पर ६ नंबर का चश्मा चढ़ गया था। प्यार का तालाब धीरें धीरें सूख रहा था कि एक दिन कैंटीन में बैठे चाय पीते हुए कामिल ने कहा - अरे बल्ली ! देख वो लड़की तुझे देख रही है। नाराजगी से घिरे मन से कहा - देखने दे। मुझे फर्क नहीं पड़ता। पर कामिल के दो तीन बार कहने पर लड़की को चुपके से तिरछी निग़ाहों से देख लिया। पता नहीं क्यों चश्मों से चौंधयाती नज़रों से हमेशा लगता कि हर लड़की सिर्फ मुझे ही देख रही है। ..और इस बार भी ऐसा ही लगा। दिल के सूखे तालाब में प्यार के बुलबुले फूटने लगे  और पूरी अकड़ के साथ दोस्त से कहा - अगर वापस जातें हुए देखेगी तो समझना जरूर हमारी दीवानी है। साल ओवर कॉन्फिडेंस भी हद का था। भई लड़की ने वापस जाते हुए सच मे

देशभक्ति का बाजार

देशभक्ति का बाजार आओं आओं लूट लो देशभक्ति का बाजार लगा है। खरीददारों का तो पता नहीं पर बेचने वालो का हुजूम उमड़ पड़ा है।  भगवा रंग के पैकट में हिंदुत्व कंपनी के ठप्पे पे खूब बिक रही है। देशभक्ति। पहने टोपी और खादी चड्डी हाथ में लाठी लिए नागपुर वाले लाला बेच रहा है। देशभक्ति। बाबाजी के आश्रम की गौमाता के मूत्र से पवित्र हुई एकदम शुद्ध शाकाहारी है। देशभक्ति। आजकल तो काले कोट वाले भी गद्दी वाले काका के आशीर्वाद से बेचने लगे है। देशभक्ति। आओं आओं लूट लो देशभक्ति का बाजार लगा है

बिन ब्याहा बाप बना दिया

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कल शाम यूं ही इंटरनेट पर ताकझाक करते हुए एक हास्यकविता देखी. बड़ी मजेदार और जानदार मालूम होती थी. सोचा हास्य कविता को आपके साथ सांझा करूं लेकिन इसके मूल लेखक का नाम नहीं जानता इसलिए जनाब जिसकी भी हो मेरी तरफ से आभार प्रसन्नता से स्वीकार कर ले. हिन्दी हास्य कविताएं: बाप बना दिया कई दिनों बाद किसी का फोन आया। मै बना रहा था सब्जी, उसे छोड़कर उठाया। उधर से एक पतली सी आवाज आयी हैलो नरेश! मैंने कहा सॉरी हियर इज मुकेश! उसने कहा! क्यों बेवकूफ बना रहे हो। मुझे सब पता है तुम नरेश ही बोल रहे हो।। मै थोडा गुस्से में बोला! तुम हो कैसी बला।। मै कैसे तुम्हे समझाऊँ। मुकेश हूँ नरेश को कहाँ से लाऊं।। उसको मेरी बातों से, हुआ कुछ खटका। उसने बड़े जोर से, रिसीवर को पटका।। तब मुझको किचन से, कुछ बदबू सी आयी। राँग नम्बर के चक्कर में, मैंने सब्जी जलवायी।। दूसरे दिन फिर, उसका फोन आया। मै बाथरूम से भागा, दीवार से टकराया। सिर के बल गिरा, नाक से खून आया।। फिर भी गिरते पड़ते, फोन उठाया।। फिर वही आवाज, आयी हैलो नरेश। मै खीझकर चिल्लाया! नहीं उसका बाप मुकेश।। उसने कहा अंकल नमस्ते! मै

मौन

मौन श्रदांजलि है आदर है समर्पण है इसलिए मौन हो जाते है हम . मौन क्रोध है अस्थिर है शोषण है भयावह है मौन इसलिए मौन हो जाते है हम मौन मृत्यु है, शिथिलता है . एक अविरोध समर्थन है इसलिए मौन नहीं होना चाहता मेरा मन . शक्ति द्विवेदी