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Showing posts from October, 2016

हरिशंकर परसाई | Harishankar Parsai

हरिशंकर परसाई | Harishankar Parsai ऐसा कभी नहीं हुआ था। धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग का नरक के निवास-स्थान 'अलाट' करते आ रहे थे। पर ऐसा कभी नहीं हुआ था। सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर पर रजिस्टर देख रहे थे। गलती पकड़ में ही नहीं आ रही थी। आखिर उन्होंने खोज कर रजिस्टर इतने जोर से बन्द किया कि मक्खी चपेट में आ गयी। उसे निकालते हुए वे बोले, "महाराज, रिकार्ड सब ठीक है। भोलाराम के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्यागी और यमदूत के साथ इस लोक के लिए रवाना भी हुआ, पर यहाँ अभी तक नहीं पहुँचा।" धर्मराज ने पूछा, "और वह दूत कहाँ है?" "महाराज, वह भी लापता है।" इसी समय द्वार खुले और एक यमदूत बड़ा बदहवास वहाँ आया। उसका मौलिक कुरूप चेहरा परिश्रम, परेशानी और भय के कारण और भी विकृत हो गया था। उसे देखते ही चित्रगुप्त चिल्ला उठे, "अरे, तू कहाँ रहा इतने दिन? भोलाराम का जीव कहाँ है?" यमदूत हाथ जोड़कर बोला, "दयानिधान, मैं कैसे बतलाऊँ कि क्या हो गया। आज तक म

अच्छे पापा !!

लड़का: क्यों जी आज मोहतरमा जी का मुंह क्यों उतरा हुआ है ? लड़की: घर  में हर कोई मुझे ही डांटता रहता है। आज बंटी की गलती पर भी पाप ने मुझे ही दांत दिया। मैंने तो कुछ किया भी नहीं था। लड़का : Arey ! कोई नहीं यार।  पापा है तेरे। बड़ा समझकर माफ़ कर दे।   लड़की: पापा है तो क्या हुआ ? इसका मतलब ये तो नहीं है कि जब मन करे तब डांटने लग जाए। और वो उस बंटी को क्यों कुछ नहीं कहते।   लड़का : ओ! मेले बाबू को इतनी डांट पड़ी। कोई नहीं बाबू । इतनी छोटी सी बात पर नाराज नहीं होते। पापा है आपके।   लड़की : तुम रहने दो। तुम हमेशा उनकी ही साइड लेते हो।   लड़का : अले बाबु ! मैं किसी की साइड नहीं ले रहा। मैं तो बस कह रहा था कि पापा ने ऐसे ही प्यार प्यार में डांट दिया होगा।   लड़की : तुम चुप ही रहो।  मेरी तो कोई सुनता ही नहीं है। कोई प्यार व्यार से नहीं डांटा, पुरे एक घंटे लेक्चर दिया है। तुम भी धोखेबाज निकले। सब लोग मुझे ही तंग करते रहते है।   लड़का : आने दे उस बुड्ढे खुस्सट को।  मार मारकर अगर उसकी तोंद पतली ना करदी तो मेरा नाम बदल देना।  लड़की : shut up !! He is my dad. How dare you to speak like that