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Showing posts from July 26, 2015

कला

कल्पना उस कलाकार की ऐसी कि दुनिया के दायरे में ना आ सकी। पढ़ा तो पूरी दुनिया ने उसे मगर कमबख्त किसी की समझ में ना आ सकी। खरीददार तो थे बहुत उसके मगर उसके लायक दाम इकट्ठे ना हो सके।