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बिन ब्याहा बाप बना दिया

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कल शाम यूं ही इंटरनेट पर ताकझाक करते हुए एक हास्यकविता देखी. बड़ी मजेदार और जानदार मालूम होती थी. सोचा हास्य कविता को आपके साथ सांझा करूं लेकिन इसके मूल लेखक का नाम नहीं जानता इसलिए जनाब जिसकी भी हो मेरी तरफ से आभार प्रसन्नता से स्वीकार कर ले. हिन्दी हास्य कविताएं: बाप बना दिया कई दिनों बाद किसी का फोन आया। मै बना रहा था सब्जी, उसे छोड़कर उठाया। उधर से एक पतली सी आवाज आयी हैलो नरेश! मैंने कहा सॉरी हियर इज मुकेश! उसने कहा! क्यों बेवकूफ बना रहे हो। मुझे सब पता है तुम नरेश ही बोल रहे हो।। मै थोडा गुस्से में बोला! तुम हो कैसी बला।। मै कैसे तुम्हे समझाऊँ। मुकेश हूँ नरेश को कहाँ से लाऊं।। उसको मेरी बातों से, हुआ कुछ खटका। उसने बड़े जोर से, रिसीवर को पटका।। तब मुझको किचन से, कुछ बदबू सी आयी। राँग नम्बर के चक्कर में, मैंने सब्जी जलवायी।। दूसरे दिन फिर, उसका फोन आया। मै बाथरूम से भागा, दीवार से टकराया। सिर के बल गिरा, नाक से खून आया।। फिर भी गिरते पड़ते, फोन उठाया।। फिर वही आवाज, आयी हैलो नरेश। मै खीझकर चिल्लाया! नहीं उसका बाप मुकेश।। उसने कहा अंकल नमस्ते! मै