२७०० दलित सफाई मज़दूरों की ऐतिहासिक जीत
२७०० दलित सफाई मज़दूरों की ऐतिहासिक जीत हाल ही में मुंबई के २७०० दलित मज़दूरों ने मुंबई महानगरपालिका के खिलाफ एक ऐतिहासिक जीत दर्ज़ की है। इस लड़ाई की शुरुआत १९९७ में सफाई मज़दूरों ने कचरा वाहतूक श्रमिक संघ नामक यूनियन की अगुवाई में की। कचरा वाहतूक श्रमिक संघ मज़दूरों के हक़ में लड़ने वाली एक अग्रणी मज़दूर यूनियन है जिसकी स्थापना १९९७ में मुंबई के कुछ सफाई मज़दूरों ने कामरेड दीपक भालेराव तथा कामरेड मिलिंद रानाडे की अध्यक्ष्ता में की। सभी सफाई मज़दूर मुंबई महानगर पालिका में पिछले आठ-नौ सालों से लगातार साफ़ सफाई का काम कर रहे है। परन्तु मुंबई महानगरपालिका ने उन्हें उनका कर्मचारी का हक़ न देकर उन्हें ठेका प्रथा पर रखा तथा मज़दूरों की और उनके परिवार वालों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ किया। इन मज़दूरों को सालों की मेहनत के बाद भी वेतन के नाम पर मुश्किल से किमान वेतन मिलता है। भविष्य निर्व्हा निधि, चिकित्सा सुविधा जैसी मुलभुत सुविधाओं के लिए ये मज़दूरों सालों से तरसते आ रहे है। परन्तु बॉम्बे इंडस्ट्रियल कोर्ट के इस फैसले ने वर्षो से देश को स्वच्छ रखते आ रहे अमुक तथा अदृश्य पीड़ित सिपाहियों को न...