http://www.financialexpress.com/old/ie/daily/19990722/ige22050p.html HC holds out hope for 800 contract workers EXPRESS NEWS SERVICE MUMBAI, JULY 21: The Bombay High Court today gave around 800 garbage disposal contract workers who have been idle since June 1999 hope for survival. A division bench of Justice M B Ghodeswar and Justice B N Srikrishna in an interim relief directed that the Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC) ``consider the offer made by the workers that they will be willing to work under direct supervision of the BMC officers for cleaning the city, at a minimum wage of Rs 100 per day''. The interim order follows an exhaustive hearing by the division bench that took almost the entire day since Tuesday. The final order has been reserved for July 30. The bench is hearing for final disposal a petition filed by the Kachra Vahatuk Shramik Sangh (KVSS) that is pleading that the BMC be directed to abolish contract services for debris removal an...
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खूनी उम्मीद
उसने पूछा - भगवान है ? मैंने कहा - नहीं। उसने कहा - अरे पगले ! उसके बिना इतनी बड़ी दुनिया कैसे चलती? मन ने कहा - उसकी दुनिया कहाँ चली जो कल माँ के हाथों में दम तोड़ गया। और वही आज कोई हजारों लाशों पर कागज के टुकड़ो के सहारे जी गया। उसके दिमाग ने कहा - कुछ समझ नहीं आया। अजी उनकी गर्दन ने तो हमको पागल ही करार दे दिया शायद उसी बाजार की तरह जहाँ सच कुरान, गीता, और बाइबिल की तर्ज पर बड़बड़ाती जबानो के हाथों बिक गया। यकीन मत मानिये क्योंकि इसी यकीन पर एक और शख्श पहचान बना गया शायद वो भी बाकी की तरह उम्मीद की सलाखों पर चढ़ गया। सलीम हिंदुस्तानी आज उम्मीद इतनी जिंदादिल कहाँ? कही कोई उसके सहारे पुण्य पा गया तो कही जिहाद तो वही आज फिर से कही धरती माँ का सीना खून से भर गया। सलीम हिंदुस्तानी
पारो और चाय - अध्याय ३
अन्ना की टपरी पर दस्तक देते ही सामने खड़ी पारो जोर से सलीम को गले लगा लेती है ये कहती हुई -आज मैं बहुत खुश हूँ सलीम। सच में बहुत खुश। सलीम बस कन्धा बना खड़ा रहता है। फिर पारो उसके दोनों कंधो को पकड़कर सलीम की तरफ देखते हुए कहती है -I Love Akash. You know yesterday he came to my house with chocolates, cake and roses. That was a such a great surprise yaar. I was very happy. मैं सातवें आसमान पर हूँ। सलीम: पर मुझे तो तू यही दिख रही है। पारो: हाहाहा। मजाक मत उड़ा मेरा। चल अाजा चाय पीते है। सलीम : नहीं यार, आज चाय पीने का मन नहीं है। बस सिगरेट पीऊंगा। पारो: ओये क्यों? चल पीले पीले। यार अन्ना की चाय भी ना एक पल के लिए बस.... सब कुछ भुला देती है। सलीम: सच में? फिर तो तेरे को ये भी याद नहीं होगा की मैं कौन हूँ? आकाश तो याद रहता है ना या उसे भी भूल जाती है। पारो: हरामी, साले। बस कर। जब देखो तब बकवास चालू कर देता है। सलीम: हाँ भई, हमारी बातें तो बकवास ही लगेगी और आकाश की बातें तो कोयल की सी बोली। पारो: मार खाएगा या अपने आप चुप होगा। सलीम : अच्छा चल ये बता, आकाश इतनी सारी चीज़े लाय...
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