शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2014

हम दोनों

तुम थोड़ी ठण्ड इधर करो
मैं थोड़ी धुप सरकाता हूँ। 
थोड़ा-२ बाँट लेते है दोंनो। 
तुम थोड़ी गिराओ झूठ की दीवारे
मैं थोड़ी सच्चाई बतलाता हूँ। 
थोड़ा थोड़ा बाँट लेते है दोनों। 
पुरानी यादें रुठने लगी है अब तो
आओ कुछ नई यादें बनाते है। 
समय थोड़ा साथ बिताते है दोनों। - Shakti Hiranyagarbha

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