पारो और चाय - अध्याय २
आज पारो तोड़ा जल्दी आ जाती है जिससे सलीम की चाय और सिगरेट तैयार रहती है। पर पारो आज सिगरेट का पफ जल्दी जल्दी मारते हुए इधर कुछ ज्यादा ही देख रही है। सलीम साहब से ये सब देखकर कहा रुका जाता। ये सब देखकर बैठते हुए तुरंत बोले -
सलीम: क्या बात है? आज महारानी जी का नाक थोड़ा चढ़ा हुआ लगता है। तबियत कुछ ठीक नहीं है?
पारो: यार ये लड़के सब एक से क्यों होते है?
सलीम अपनी तरफ भौचक्की निगाहों से देखता है और कुछ अंतराल के बाद कहता है।
सलीम: क्यों आकाश ने कुछ कह दिया क्या?
पारो: नहीं! समस्या तो यही है। वो कुछ कहता ही तो नहीं। देख, आज मेरा जन्मदिन है और उसने मुझे अभी तक फोन नहीं किया है। कोई किसी का जन्मदिन कैसे भूल सकता है यार।
सलीम: अरे! आज तेरा जन्मदिन है ? हैप्पी बर्थडे यार ! जन्मदिन मुबारक हो। पर कम से कम आज तो छुट्टी ले लेती।
पारो: कहा यार। इतना काम पड़ा है। कौन करता फिर?
सलीम: अच्छा अब ये सब छोड़। ये बता क्या गिफ्ट लेगी अपने जन्मदिन पर ?
पारो: नहीं मुझे कोई गिफ्ट विफ्ट नहीं चाहिए।
सलीम: ऐसे कैसे हो सकता है। बोल तुझे क्या चाहिए ? अच्छा चल ये बता बर्थडे पार्टी के लिए कहा चलना है?
चाय की चुस्की लेते हुए पारो: आज नहीं यार ! फिर कभी चलते है आज रूममेट्स के साथ प्लान बना हुआ है।
सलीम: चल कोई ना। अप्पन फिर कभी चलेंगे।
पारो: हाँ। पक्का।
सिगरेट का पफ आज सलीम के पैरों से थोड़ा जोर से कुचला जाता है। तो वही पारो एएएएएए की आवाज़ निकाले बिना ही अपने ऑफिस की ओर रुख करती है। सलीम कुछ देर अपने ऑफिस की तरफ चलता है और फिर वापस आकर सिगरेट जलाते हुए अन्ना से एक और चाय की फरमाइश करता है।
सलीम: क्या बात है? आज महारानी जी का नाक थोड़ा चढ़ा हुआ लगता है। तबियत कुछ ठीक नहीं है?
पारो: यार ये लड़के सब एक से क्यों होते है?
सलीम अपनी तरफ भौचक्की निगाहों से देखता है और कुछ अंतराल के बाद कहता है।
सलीम: क्यों आकाश ने कुछ कह दिया क्या?
पारो: नहीं! समस्या तो यही है। वो कुछ कहता ही तो नहीं। देख, आज मेरा जन्मदिन है और उसने मुझे अभी तक फोन नहीं किया है। कोई किसी का जन्मदिन कैसे भूल सकता है यार।
सलीम: अरे! आज तेरा जन्मदिन है ? हैप्पी बर्थडे यार ! जन्मदिन मुबारक हो। पर कम से कम आज तो छुट्टी ले लेती।
पारो: कहा यार। इतना काम पड़ा है। कौन करता फिर?
सलीम: अच्छा अब ये सब छोड़। ये बता क्या गिफ्ट लेगी अपने जन्मदिन पर ?
पारो: नहीं मुझे कोई गिफ्ट विफ्ट नहीं चाहिए।
सलीम: ऐसे कैसे हो सकता है। बोल तुझे क्या चाहिए ? अच्छा चल ये बता बर्थडे पार्टी के लिए कहा चलना है?
चाय की चुस्की लेते हुए पारो: आज नहीं यार ! फिर कभी चलते है आज रूममेट्स के साथ प्लान बना हुआ है।
सलीम: चल कोई ना। अप्पन फिर कभी चलेंगे।
पारो: हाँ। पक्का।
सिगरेट का पफ आज सलीम के पैरों से थोड़ा जोर से कुचला जाता है। तो वही पारो एएएएएए की आवाज़ निकाले बिना ही अपने ऑफिस की ओर रुख करती है। सलीम कुछ देर अपने ऑफिस की तरफ चलता है और फिर वापस आकर सिगरेट जलाते हुए अन्ना से एक और चाय की फरमाइश करता है।
Comments
Post a Comment