पारो और चाय - अध्याय ५
पारो और चाय - अध्याय ५आज पारो और सलीम दोनों एक साथ अन्ना की टपरी पर पहुँचते है। जिससे दोनों सरप्राइज हो जाते है।
सलीम: अरे हीरोइन! आज एकदम वक़्त पर अ ? लगता है हमारे साथ रह कर सुधर गयी है आप।
पारो: ओ ! गाय की औलाद। मैं हमेशा तुझसे पहले आती थी, तू एक बार पहले आ गया था तो ज्यादा उछल मत। समझा !
सलीम: आए हाए ! गुस्सा तो देखो मैडम जी का। अरे मजाक भी नहीं कर सकते।अपना ये गुस्सा ना अपने बॉयफ्रेंड के लिए बचा कर रखा कर। हम किसी की नहीं सुनते हां।
पारो: अच्छा ! दूँ क्या एक, कान के नीचे ? चल ये चाय पकड़ और चल।
सलीम: ओये यारा वायलेंट मत हो, देख कैसे हाथ कांप रहे है। (धीरे से ) यार यहाँ तो अपनी बात भी नहीं रख सकते।
पारो: हाँ ठीक है.. ठीक है.. ले चाय ले कर चल।
दोनों चाय रख कर बैठते है . पारो दोनो की सिगरेट जलाती है।
सलीम: और तेरा हीरो कैसा है ?
पारो: अच्छा है। आजकल ज्यादा बात नहीं हो रही।
सलीम: क्यों ?
पारो : यार काम ही इतना है। वो भी दिन भर ऑफिस में बिजी रहता है। और मेरा तो तू जानता ही है।
सलीम: अच्छा, अब समझा। मतलब आकाश तुझे दिन में फ़ोन या मैसेज नहीं कर पा रहा होगा। पर कोई नहीं तू बाकी लड़की जैसी थोड़े ही है। तुझ जैसी महान आत्मा के लिए ये छोटी मोटी चीज़ें थोड़े ही matter करती होंगी।
पारो : क्या बोला? (थप्पड़ मारते हुए )
सलीम : अरे नहीं कुछ नहीं। भला हम क्या बोल सकते है ? भैया वैसे भी आजकल लड़कियों की चलती है।
पारो: ज्यादा उछल मत बेटा। जब तेरी गर्लफ्रेंड बनेगी ना तब देखना। उसको तेरे बारे में मसाले डाल डालकर ऐसी कहानियां सुनाउंगी कि तेरी मार मार हालत पतली कर देगी।
सलीम: तुझे लगता है कि मैं तुझे अपनी गर्लफ्रेंड से मिलवाऊंगा। अपनी गर्लफ्रेंड से।अरे अपनी शकल तो देख। हाहाहा.. ...सपने तो तू अच्छे देखती है।
पारो: तू ऐसा करेगा मेरे साथ। हाए मर जावा ..... अबे ऋतिक की औलाद पहले लड़की तो पटा। बेटा तुझसे कुछ होने जाने वाला तो है नहीं। लगता है हमें ही कुछ करना पड़ेगा।
सलीम: ओये हरिश्चंदर की भतीजी। कोई जरुरत नहीं है तुम्हारी मदद की। तुम्हारी दोस्त भी तुम्हारे जैसी होगी।
पारो: क्या मतलब मेरी जैसी होगी ? मेरे जैसी लड़की तेरे तरफ देखने भी ना वाली।
सलीम: हाँ तो मैं कौन सा उनके इंतज़ार में मरे जा रहा हूँ। अरे भतेरी लड़की है अपने पास। लाईन लगी पड़ी है अपने पास ऐसी लड़कियों की। तू देख्यों जब मेरी गर्लफ्रेंड आएगी। तेरे जैसी की तो यूँ छुट्टी कर देगी।
पारो: (चाय का कप डब्बे में डालते हुए) तो एक काम करना आगे से उसके साथ ही चाय पीने आना। (ऑफिस की तरफ दूर जाते हुए) कल उसे बुला लाना।
सलीम: (उच्ची आवाज़ में) हाँ तो मैं कौन सा तेरे साथ चाय पीने के लिए मरा जा रहा हूँ .
सलीम: अरे हीरोइन! आज एकदम वक़्त पर अ ? लगता है हमारे साथ रह कर सुधर गयी है आप।
पारो: ओ ! गाय की औलाद। मैं हमेशा तुझसे पहले आती थी, तू एक बार पहले आ गया था तो ज्यादा उछल मत। समझा !
सलीम: आए हाए ! गुस्सा तो देखो मैडम जी का। अरे मजाक भी नहीं कर सकते।अपना ये गुस्सा ना अपने बॉयफ्रेंड के लिए बचा कर रखा कर। हम किसी की नहीं सुनते हां।
पारो: अच्छा ! दूँ क्या एक, कान के नीचे ? चल ये चाय पकड़ और चल।
सलीम: ओये यारा वायलेंट मत हो, देख कैसे हाथ कांप रहे है। (धीरे से ) यार यहाँ तो अपनी बात भी नहीं रख सकते।
पारो: हाँ ठीक है.. ठीक है.. ले चाय ले कर चल।
दोनों चाय रख कर बैठते है . पारो दोनो की सिगरेट जलाती है।
सलीम: और तेरा हीरो कैसा है ?
पारो: अच्छा है। आजकल ज्यादा बात नहीं हो रही।
सलीम: क्यों ?
पारो : यार काम ही इतना है। वो भी दिन भर ऑफिस में बिजी रहता है। और मेरा तो तू जानता ही है।
सलीम: अच्छा, अब समझा। मतलब आकाश तुझे दिन में फ़ोन या मैसेज नहीं कर पा रहा होगा। पर कोई नहीं तू बाकी लड़की जैसी थोड़े ही है। तुझ जैसी महान आत्मा के लिए ये छोटी मोटी चीज़ें थोड़े ही matter करती होंगी।
पारो : क्या बोला? (थप्पड़ मारते हुए )
सलीम : अरे नहीं कुछ नहीं। भला हम क्या बोल सकते है ? भैया वैसे भी आजकल लड़कियों की चलती है।
पारो: ज्यादा उछल मत बेटा। जब तेरी गर्लफ्रेंड बनेगी ना तब देखना। उसको तेरे बारे में मसाले डाल डालकर ऐसी कहानियां सुनाउंगी कि तेरी मार मार हालत पतली कर देगी।
सलीम: तुझे लगता है कि मैं तुझे अपनी गर्लफ्रेंड से मिलवाऊंगा। अपनी गर्लफ्रेंड से।अरे अपनी शकल तो देख। हाहाहा.. ...सपने तो तू अच्छे देखती है।
पारो: तू ऐसा करेगा मेरे साथ। हाए मर जावा ..... अबे ऋतिक की औलाद पहले लड़की तो पटा। बेटा तुझसे कुछ होने जाने वाला तो है नहीं। लगता है हमें ही कुछ करना पड़ेगा।
सलीम: ओये हरिश्चंदर की भतीजी। कोई जरुरत नहीं है तुम्हारी मदद की। तुम्हारी दोस्त भी तुम्हारे जैसी होगी।
पारो: क्या मतलब मेरी जैसी होगी ? मेरे जैसी लड़की तेरे तरफ देखने भी ना वाली।
सलीम: हाँ तो मैं कौन सा उनके इंतज़ार में मरे जा रहा हूँ। अरे भतेरी लड़की है अपने पास। लाईन लगी पड़ी है अपने पास ऐसी लड़कियों की। तू देख्यों जब मेरी गर्लफ्रेंड आएगी। तेरे जैसी की तो यूँ छुट्टी कर देगी।
पारो: (चाय का कप डब्बे में डालते हुए) तो एक काम करना आगे से उसके साथ ही चाय पीने आना। (ऑफिस की तरफ दूर जाते हुए) कल उसे बुला लाना।
सलीम: (उच्ची आवाज़ में) हाँ तो मैं कौन सा तेरे साथ चाय पीने के लिए मरा जा रहा हूँ .
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