पारो और चाय -- अध्याय -४
तीन दिन के लम्बे वीकेंड के बाद आज ऑफिस में अफरा तफरी मची हुई है। ईद की मुबारकें और DJ के शोर ने इतना काम पैदा कर दिया की दिन भर हाथ में कागज लिए बॉस के चारो तरफ दौड़ना पड़ रहा है। फिर भी ये काम कम्भख्त कम होने का नाम नहीं ले रहा। आज तो भईया फेसबुक चेक करने का मौका भी नहीं मिला। व्हाट्सप्प को छुए तो लगता है जमाना हो गया। खैर छोड़िये सलीम तो इन सब बातों को भुलाकर घडी की तरफ देखते हुए अन्ना की टपरी पर दौड़ पड़ता है। वही पारो बेचारी अपने कामो में फसी हुई है। उसे अपने बॉस को मेल करना है। फाइल बड़ी होने के कारण अपलोड होने में टाइम ले रही है। पहले से लेट कही और लेट ना हो जाए ये सोचकर पारो अपना मेल अपनी दोस्त को बताती हुई चाय के लिए निकल पड़ती है। अन्ना की टपरी पर सलीम आज पहले से बैठे है और आज किसी कन्या के साथ गपशप में वयस्त है। पारो उसे देखती है और चहकती हुई अन्ना से सिगरेट और चाय लेती है। सलीम थोड़ी दुरी होने के कारन शायद पारो को अनदेखा करने की कोशिश करता है। पारो एक हाथ में चाय और दूसरे में सिगरेट पकडे हुए सलीम के पास खड़ी लड़की को जोर से हेलो बोलती है। और चाय रखकर बैठते हुए सलीम के हाथ से लाइटर